रमेश चन्द्र झा द्वारा
‘देश गीत’ में भारत के भौगोलिक, प्राकृतिक आ सांस्कृतिक सौन्दर्य के सुन्दर चित्राण बा।
भारत के लोग के अपना देश पर गर्व बा एकर झलक एह कविता में मिलेला।
हिन्दुस्तान जनम ध्रती हम बासी हिन्दुस्तान के ।
आसमान पर लहरत बा झंडा हमरा बलिदान के ।।
हमरा माथे मुकुट हिमालय, थाती घर संसार के ।
हरदम हहरत हिया जुड़ावे सागर पाँव पखार के ।।
देश-देश के लोग निरेखे, आपन पाँव पखार के ।।
आज देश के हर पुकार पर बाजी हमरा जान के ।
आसमान पर लहरत बा झंडा हमरा बलिदान के ।।
जहाँ नेह के नदी बहत बा, गली-गली हर गाँव में ।
प्रीत-रीत के बंशी बाजे, कहीं कदम का छाँव में ।।
आँगन में गौरैया नाचे, बिछुवा बान्हे पाँव में ।।
जहाँ किरिनियाँ उठ के पहिले खोले आँख बिहान के ।
आसमान पर लहरत बा, झंडा हमरा बलिदान के ।।
खेतन में सीता उपजेली, जहाँ जनक का देश में ।
लोग जहाँ सोना जइसन, गौतम गाँध्ी का भेष में ।।
आपन कीमत बा हमनी के, चरखा देश-बिदेश में ।।
आपन सब कुछ खोके हम, बारब दियरा निरमान के ।।
हिन्दुस्तान जनम ध्रती हम बासी हिन्दुस्तान के ।।
आसमान पर लहरत बा झंडा हमरा बलिदान के ।।
रमेश चन्द्र झा
रमेश चन्द्र झा के जन्म 8 मई, 1928 ई. के बिहार के पूर्वी चम्पारण जिला के पफुलबरिया सुगौली में भइल रहे। 1942 के अगस्त क्रांति में उहाँ का बढ़-चढ़ के भाग ले ले रहीं। भोजपुरी, मैथिली आ हिन्दी तीनों भाषा के पत्रा-पत्रिकन में उनकर रचना प्रकाशित बा। उपन्यास, जीवनी, बाल-साहित्य, कविता आदि विविध् विध्न में उनकर लगभग पचास पुस्तक प्रकाशित बा। भोजपुरी में उनकर ऐतिहासिक उपन्यास ‘सूरमा सगुन विचारे ना’ अँजोर पत्रिका में धारावाहिक रूप में प्रकाशित भइल रहे।