मुखियई के मचि गइल हल्ला,
लागल शिकारी चाल में ।
लेके दउरल चीखना चखना,
माछ फँसावे जाल में ।।
पांच बरिस जे बाति ना पूछल,
नियराइल तs आइल बा ।
उ जालि लोग बूझि गइल तs,
नाया जालि बुनाइल बा ।।
कउआ भी अब बोले लागल,
मिठकी कोयल के बोली ।
सियरा भी अब रोवाँ झारि के,
पेन्हले बा साड़ी चोली ।।
रोवे बिलरिया किरिया खाले,
मुसवन की लगे जाके ।
लोरे झोर भइल बा पपनी,
छोहे छाह छाती फाटे ।।
हाथ जोरेले पांव पड़ेले
पांवे पाँव लोटा जाले ।
उठेले त हाथ दाबि के
बोतल मासु थमा जाले ।।
जवन सेठ जेतने बा लूटले,
फेरु लूटे उ आवsता ।
दूसर के भी जगल जवानी,
लूटे खातिर धावsता ।।
बस चुनाव ले सभे बा आपन,
जहिया वोट डरा जाई ।
जइसे ही ई मोहर लगा दी,
मछरी रेति हता जाई ।।
सोचि समुझि के मोहर लगइह,
पइसा पर जो बिका जइबs ।
अबहीं का तू रोअले बाड़s,
पांच बरिस फेरु रोइबs ।।
