‘प्रीत जहिया सजोर हो जाई’ ग़ज़ल रमेशचन्द्र झा द्वारा प्रीत जहिया सजोर हो जाई,भाव मन के विभोर हो जाई! दर्द के बाँसुरी बजाई के,बोल बहरी कि सोर हो जाई! हम सँवारब सनेह से सूरत,रूप सुगनाक ठोर हो जाई! रात भर नाचि के थकल जिनगी,जाग जाई त भोर हो जाई! पाँख आपन पसारि के जईसेसनचिरैया चकोर […]
Ramesh Chandra Jha
रमेश चन्द्र झा के जन्म 8 मई, 1928 ई. के बिहार के पूर्वी चम्पारण जिला के पफुलबरिया सुगौली में भइल रहे। 1942 के अगस्त क्रांति में उहाँ का बढ़-चढ़ के भाग ले ले रहीं। भोजपुरी, मैथिली आ हिन्दी तीनों भाषा के पत्रा-पत्रिकन में उनकर रचना प्रकाशित बा। उपन्यास, जीवनी, बाल-साहित्य, कविता आदि विविध् विध्न में उनकर लगभग पचास पुस्तक प्रकाशित बा। भोजपुरी में उनकर ऐतिहासिक उपन्यास ‘सूरमा सगुन विचारे ना’ अँजोर पत्रिका में धारावाहिक रूप में प्रकाशित भइल रहे।
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