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प्रीत जहिया सजोर हो जाई

‘प्रीत जहिया सजोर हो जाई’ ग़ज़ल रमेशचन्द्र झा द्वारा प्रीत जहिया सजोर हो जाई,भाव मन के विभोर हो जाई! दर्द के बाँसुरी बजाई के,बोल बहरी कि सोर हो जाई! हम सँवारब सनेह से सूरत,रूप सुगनाक ठोर हो जाई! रात भर नाचि के थकल जिनगी,जाग जाई त भोर हो जाई! पाँख आपन पसारि के जईसेसनचिरैया चकोर […]